ट्रस्ट लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से अपनी विभिन्न गतिविधियां संचालित करता है। जिनका विवरण निम्नवत है-
औषधालय के प्रेरक एवं संस्थापक महंत श्री पुरूषोत्तम दास जी महाराज (डॉ साहब) थे। उन्होंने रोगियों के निःशुल्क उपचार के लिए दिन-रविवार, दिनांक-16/04/1995 को श्री श्री 1008 श्री महंत प्रेम पुजारी दास स्मारक धर्मार्थ आयुर्वेदिक औषधालय की स्थापना की । जिसके माध्यम से तब से आजतक प्रतिदिन लगभग 50 से 60 रोगियों का निःशुल्क उपचार विभिन्न रोगों के लिए हो रहा है। जिसमें एक प्रमुख चिकित्सक एवं दो सहायक चिकित्सक सेवारत हैं।
ट्रस्ट के द्वारा एक गौशाला का निर्माण करके गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक विनम्र प्रयास किया गया है। जहाँ पर करीब 60 गोवंश (गाय या, बछड़ा ) सेवा प्राप्त कर रहे हैं । सेवा के लिए ट्रस्ट के द्वारा गौ सेवकों की नियुक्ति की गई है
ट्रस्ट के द्वारा आश्रम में औसतन 20 विद्यार्थियों को भोजन वस्त्र आवास एवं शैक्षणिक व्यय प्रदान करके उन्हें समुचित शिक्षा का अवसर प्रदान किया गया है। छात्रों की संख्या विभिन्न वर्षों में उपर्युक्त संख्या से कम या अधिक होती रहती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए छात्रों को पुरस्कार वितरण किये जाते हैं। क्योंकि ट्रस्ट का मानना है कि शिक्षित एवं संस्कारित छात्र ही एक स्वस्थ समाज की स्थापना कर सकते हैं।
वर्तमान युग में समाज की एक बहुत बड़ी विडम्बना है कि जो लोग इस समाज को एवं परिवार को मजबूती प्रदान करने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर कर देते हैं। वृध्दावस्था में शक्ति क्षीण होने के पश्चात उनको ही बोझ मान लिया जाता है। प्राय: ऐसे लोग दर -2 भटकने के लिए मजबूर हो जाते हैं। उन्हें या तो किसी वृध्दाश्रम में आश्रय लेना पड़ता है या फिर किसी तीर्थ में जाकर जैसे तैसे अपना गुजारा करना पड़ता है। ट्रस्ट ऐसे ही निराश्रित, दीन-हीन एवं लाचार व्यक्तियों को आश्रय उपलब्ध कराकर भोजन, वस्त्र एवं निःशुल्क चिकित्सा आदि निरंतर प्रदान कराता है। ताकि वे भी एक सम्मान एवं स्वाभिमान पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें।
पौराणिक कथाओं परम्पराओं एवं मान्यताओं के अनुसार सम्पूर्ण भारत वर्ष में प्रायः चार स्थानों पर कुम्भ मेले का आयोजन बारह वर्षों के अन्तराल में होता है। कुम्भ में मात्र श्रृध्दालु तीर्थ यात्री ही नहीं आते हैं बल्कि सनातन धर्म के विभिन्न सम्रदायों के आश्रम धारी संतों ,महंतों , श्री महन्तों ,मण्डलेश्वरों ,आचार्य महामंडलेश्वरों ,सम्प्रदायाचार्यों एवं मनीषी ,महापुरुषों के विशाल शिविर आने वाले श्रृध्दालु तीर्थ यात्रियों का स्वागत करते हैं । जिनमे परम्पराओं के अनुसार विभिन्न शाही स्नानों का विशेष आयोजन किया जाता है। व्यवस्था संचालित करने में शासन प्रशासन का विशिष्ठ योगदान होता है। ट्रस्ट की ओर से विभिन्न कुम्भ मेलों में विशाल शिविरों की स्थापना करके विभिन्न सेवा प्रकल्पों को सम्पूर्ण सेवा काल तक संचालित किया जाता है
पवित्र माघ मास में प्रतिवर्ष तीर्थराज प्रयाग में सहस्रों श्रृध्दालु तीर्थ यात्री कल्प वास करते हैं। जिसमें नित्य गंगा स्नान, भजन-पूजन एवं सत्संग आदि की व्यवस्था होती है । देश के लगभग समस्त प्रमुख धार्मिक संस्थान अपने -2 शिविर स्थापित करके जनसेवा के सहभागी बनते हैं। ट्रस्ट की ओर से भी प्रत्येक वर्ष माघ मास में एक विशाल शिविर की स्थापना करके दैनिक भजन-पूजन, विद्वान संतों के द्वारा सत्संग, दरिद्र नारायण की सेवा , अतिथि सेवा एवं अन्य प्रकार के सेवा प्रकल्प सम्पूर्ण मेला काल तक चलाये जाते हैं।
युवा पीढ़ी किसी भी राष्ट्र के लिए सबसे बहुमूल्य तत्व होती है। संस्कारी, सच्चरित्र एवं कर्मठ युवा एक उन्नत राष्ट्र की आधारशिला होते हैं किन्तु वैज्ञानिक उपलब्धियों के दुरूपयोग ,बाल्यकाल से ही मादक पदार्थों का सेवन ,विभिन्न सिनेमा नाटक एवं इंटरनेट के द्वारा परोसी जाने वाली कामुकता व हिंसा का दुष्प्रभाव युवा पीढ़ी पर बढ़ता जा रहा है। जो गंभीर चिंता का विषय है। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए ट्रस्ट ने युवा पीढ़ी को संस्कारित करने के लिए संस्कार शालाओं की स्थापना करके योग्य आचार्यों के मार्गदर्शन में युवाओं को संस्कारी बनाने का एक दुष्कर दायित्व स्वीकार किया है। जिससे की एक स्वस्थ समाज की रचना की जा सके।
लोकहित को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट समाज में होने वाली विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों को निरंतर प्रोत्साहित करता रहता है। जिसके अन्तर्गत विभिन्न सत्संगों एवं रामलीलाओं का आयोजन, गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग एवं विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों के निषेध के लिए प्रबल प्रयास आदि शामिल हैं।
परमपुनीत श्री चित्रकूट धाम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन तपस्थली है। धर्म एवं परम्पराओं के अनुसार भारत वर्ष की पवित्र तीर्थ श्रंखला में श्री चित्रकूट धाम का अति विशिष्ट स्थान है। प्रतिदिन हजारों तीर्थ यात्री चित्रकूट आकर भगवान श्री कामतनाथ जी के दर्शनों का आलौकिक लाभ प्राप्त करते हैं। भगवान कामतानाथ जी के पावन आश्रम परिसर में ठहरने वाले अतिथियों की भोजन, आवास एवं भजन -पूजन आदि की समुचित व्यवस्था ट्रस्ट के द्वारा करवाई जाती है।
स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण जीव जगत के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। वर्तमान युग में वैज्ञानिक संसाधनों के बढ़ने के पश्चात जीवन अधिक सुविधा और विलासिता पूर्ण होता जा रहा है किन्तु निरन्तर गतिशील विकास क्रम में पर्यावरण की अत्यधिक क्षति होती जा रही है। पेड़ों का अंधाधुंध कटना ,सिंगल यूज पोलीथीन का अत्यधिक प्रयोग, नदियों के जल को प्रदूषित करना, ये सारी समस्याएं देश और समाज के लिए अत्यंत घातक हैं। इन परिस्थियों में ट्रस्ट अपनी भूमिका को पूरी निष्ठा के साथ निभाते हुए सघन वृक्षारोपण, सिंगल यूज प्लास्टिक का पूर्णतः बहिष्कार ,नदियों के जल को प्रदुषण मुक्त कराने का अभियान ,विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक मंचों से जन साधारण को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने के कार्य निरंतर कर रहा है। ट्रस्ट पर्यावरण बचाओ अभियान के अंतर्गत प्रतिवर्ष हजारों वृक्षों का आरोपण करवाता है।
भारतीय संस्कृति आनन्द, उल्लास एवं जीवंतता की संस्कृति है। जिसमें अनेक पर्वों एवं उत्सवों को आयोजित करके प्राचीन परम्पराओं को संरक्षित ही नही किया जाता है बल्कि जीवन को सरस, सरल एवं आनंदमय बनाने का प्रयास भी किया जाता है। ट्रस्ट की ओर से भारतीय संस्कृति एवं धार्मिक परम्पराओं को सम्मानित करने के लिए अनेक पर्व एवं उत्सवों का समय -समय पर आयोजन किया जाता है। जिसका विस्तृत विवरण वेबसाइट के वार्षिक आयोजनों का विवरण शीर्षक के अंतर्गत उपलब्ध है।
जगद्गुरु रामस्वरूप आचार्य जी महाराज
श्री महाराज जी