ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष साकेतवासी श्री महंत श्री प्रेम पुजारी दास जी महाराज "सिंहस्थ भूषण" ने
आश्रम व्यवस्था को अधिक कुशल बनाने तथा भविष्य में उत्तराधिकार को लेकर किसी भी प्रकार के
विवाद से बचने एवं आश्रम के संतों एवं संपत्तियों के हित को ध्यान में रखते हुए सन 1987-88 में
श्री कामदगिरि प्रदिक्षणा प्रमुख द्वार (उत्तर) ट्रस्ट श्री चित्रकूट धाम के नाम से एक प्राइवेट ट्रस्ट का
गठन किया। जिसे कालांतर में पब्लिक ट्रस्ट के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। ट्रस्ट के प्रबंध
समिति के सदस्यो की संख्या सीमित रखने के लिए एवं ट्रस्ट को अधिक प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य
से एक सहयोगी ट्रस्ट श्री राम झरोखा ट्रस्ट के नाम से उसके साथ ही साथ स्थापना की , जिसके उद्देश्य
पूर्वोक्त ट्रस्ट के समान ही हैं। दोनों ट्रस्ट मे ट्रस्टियों के मध्य से ही चुने गए सदस्यों
को लेकर कार्य कारिणी समिति का गठन किया जाता है। जिनमें 7-7 सदस्य हैं-अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष,
महामंत्री, मंत्री एवं दो अन्य विशिष्ट सदस्य।कार्य कारिणी समिति का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। जिसकी
अवधि पूरी होने पर ट्रस्ट की मीटिंग बुलाकर पुन: नई कार्य कारिणी का चुनाव किया जाता है। ट्रस्ट के
अध्यक्ष का पद आजीवन है। न्यासियों की सदस्यता सामान्य परिस्थितियों में आजीवन ही है, किंतु कार्यकारिणी
के अन्य पदाधिकार 3 वर्ष के लिए मान्य होते हैं। अग्रिम चुनाव में विभिन्न पदाधिकारीगण पुन:चयनित भी हो
सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं।