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मंदिर का भव्य पुनर्निर्माण कार्य प्रस्तावित है। जो यथा शीघ्र प्रारंभ हो जाएगा। श्रद्धालुओं से निवेदन है कि इस पुनीत निर्माण यज्ञ में अधिक से अधिक सहयोग राशि प्रदान करके पुण्य के भागीदार बनें। भगवान श्री कामतानाथ जी की अनंत अहैतुकी कृपा सदैव आप सब पर बनी रहे।बैंक का विवरण-खाता धारक का नाम- कामतानाथ मंदिर निर्माण कोष,खाता क्रमांक-421401010040088,बैंक का नाम- यूनियन बैंक आफ इंडिया,खाता धारक का नाम-श्री कामतानाथ मंदिर निर्माण कोष,खाता क्रमांक-421401010040151,आईएफएससी कोड- UBIN0542148,ब्रांच का पता- जानकीकुंड, श्री चित्रकूट धाम, जिला-सतना (मध्य प्रदेश) ,संपर्क सूत्र-9415030513,9453666803,9752233696,8168462108

श्री चित्रकूट धाम तीर्थ यात्रा के संदर्भ में विशेष

श्री चित्रकूट धाम में आने के लिए परिवहन के साधन

1. वायुमार्ग-
श्री चित्रकूट धाम तीर्थ में आने के लिए नजदीकी हवाई अड्डे लखनऊ, इलाहाबाद ,एवं खजुराहो आदि हैं।श्री चित्रकूट धाम में भी देवांगना तीर्थ के निकट एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा निर्माणाधीन है। इस तरह से निकट भविष्य में वायुमार्ग के द्वारा यह तीर्थ देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों और शहरों से जुड़ रहा है।
2. रेलमार्ग-
यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन चित्रकूट धाम कर्वी है। कुछ वर्ष पूर्व कर्वी बांदा जिले की एक तहसील हुआ करता था जो वर्तमान में चित्रकूट जिले का जिला मुख्यालय है। यहाँ पर स्थित रेलवे स्टेशन श्री चित्रकूट धाम तीर्थ को नागपुर,जबलपुर ,इलाहाबाद ,झांसी, लखनऊ , दिल्ली, मुंबई एवं कोलकाता आदि देश के प्रमुख शहरों से जोड़ता है।
3.सड़क मार्ग-
चूँकि श्री चित्रकूट धाम तीर्थ उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश जैसे दो प्रदेशों के अंतर्गत स्थित है। श्री चित्रकूट धाम कर्वी बस स्टैंड से उपरोक्त दोनों प्रदेशों के विभिन्न शहरों के लिए बसें उपलब्ध होती हैं। इसी प्रकार से श्री चित्रकूट धाम के प्रमोद वन बस अड्डे से मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों के लिए बसें उपलब्ध होती हैं।

श्री चित्रकूट धाम तीर्थ में आने का उचित मौसम

यद्यपि यहाँ साल के बारहों महीने तीर्थ यात्रियों का तांता लगा रहता है, परन्तु फिर भी जिसमे सर्दी भी ज्यादा न हो , गर्मी भी ज्यादा न हो और बरसातें भी ज्यादा न पड़ रही हों, ऐसा समय सर्वाधिक उपयुक्त होता है। इस दृष्टि से फरवरी से मार्च और सितम्बर से नवंबर तक का समय सबसे अच्छा होता है। इस सम्बन्ध में गोस्वामी तुलसीदास जी ने गीतावली ग्रंथ के अयोध्या कांड के 50 वें नंबर के पद में लिखा है-
सब      दिन      चित्रकूट     नीको     लागत।
वर्षा ऋतु प्रवेश विशेष गिरि देखन मन अनुरागत।।

                       अर्थात्- श्री चित्रकूट धाम हमेशा अच्छा लगता है परन्तु वर्षा ऋतु में तीर्थ की प्राकृतिक शोभा बढ़ जाती है जिससे संपूर्ण क्षेत्र और अधिक सुंदर हो जाता है।